राजपूत परंपरा शौर्य, स्वाभिमान और बलिदान के लिए जानी जाती है। Shilabhabi Gogamedi Leadership इस परंपरा को आज के युग में भी उतनी ही शक्ति से आगे बढ़ाना और संरक्षित करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी वही महिलाएं उठा सकती हैं जिनमें साहस, समाज के प्रति समर्पण और नेतृत्व की भावना हो।Adv. Shilabhabi Gogamedi Leadership

आज हम बात कर रहे हैं ऐसी ही एक सशक्त और प्रेरणादायक महिला नेता की – अॅड. शिलाभाभी सुखदेवसिंह गोगामेडी। उनके पति और श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेवसिंह गोगामेडी की दो वर्ष पूर्व बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। यह घटना पूरे राजपूत समाज को झकझोर देने वाली थी। लेकिन इस अंधेरे में से एक नई रोशनी निकली – और वह थी शिलाभाभी का नेतृत्व।
शौर्य, संयम और संकल्प का संगम
पति की हत्या के बाद भी बिना डरे, आँसू पोंछकर शिलाभाभी ने कार्यकारी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने राजपूत समाज की एकता, आत्मगौरव और उनके मुद्दों के समाधान हेतु देशभर में दौरे शुरू किए।
हाल ही में महाराष्ट्र के जळगांव जिले में उनके नेतृत्व की झलक देखने को मिली। जहाँ भी वह जाती हैं, वहाँ केवल भाषण नहीं होता, बल्कि संगठन निर्माण, अनुशासित कार्यकर्ता तैयार करना और समाज में आत्मगौरव की भावना जगाना – यही उनका मुख्य उद्देश्य होता है।
उन्हें ‘शेरनी’ कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा।
Shilabhabi Gogamedi Leadership: The Lioness of Rajput Community
उनके नेतृत्व को देखकर इतिहास की महान वीरांगनाओं जैसे रानी लक्ष्मीबाई, पद्मावती, महारानी ताराबाई, और झलकारी बाई की याद आती है। इन सभी ने पुरुषप्रधान समाज में अपनी पहचान बनाते हुए स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
जैसे रानी लक्ष्मीबाई झाँसी की गद्दी पर दृढ़ता से विराजमान थीं, वैसे ही आज शिलाभाभी राजपूत समाज के मजबूत नेतृत्व का प्रतीक हैं।
समाज के लिए नवसंजीवनी
शिलाभाभी के कार्यों से महाराष्ट्र के करणी सेना कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिली है। जळगांव जिले में उनके आगमन से पूरे क्षेत्र में उत्साह की लहर दौड़ गई। उनकी प्रभावशाली भाषणशैली, स्पष्ट दृष्टिकोण और कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद के कारण युवाओं में नई जागरूकता और संगठन के प्रति जुड़ाव बढ़ा है।
उनका नेतृत्व केवल राजपूत समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर महिला नेतृत्व के नए अध्याय की शुरुआत मानी जा सकती है। उनका साहस, नैतिक मूल्य और सेवा भावना आज के राजनैतिक परिदृश्य में दुर्लभ हैं।
शिलाभाभी सुखदेवसिंह गोगामेडी का दिखाया गया साहस और संकल्प इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज होने योग्य है। उनके कार्यों से आज की पीढ़ी को राजपूत परंपरा का गर्व, महिला नेतृत्व की शक्ति और संगठन की अहमियत का एहसास होता है।
शिलाभाभी एक युग की शुरुआत हैं… एक शेरनी की दहाड़… और समाज के नवजीवन की सुबह!